सत्य कथा
अपने प्यारे भारत की मुख्य बड़ी 2 ज्वलंत समस्या है , नं० एक पिछले 50 वर्षों से कई बीमारियाँ महामारी का रूप लेती जा रही हैं जिसमें शुगर, बीपी, केंसर, गर्दन, कमर दर्द, कन्धा दर्द, मोटापा गैस एसिडिटी माइग्रेन आदि में घुटना दर्द सबसे भयंकर है ये तो एक कदम जिंदगी की चाल ही रोक देता है सारे अरमान ख़त्म कर देता है | वर्तमान के हालात बताते है की ये देश की 100% अवादी को होना ही है | घुटना दर्द का वर्तमान एलोपेथ का खर्चा 5 से 7 लाख रुपया प्रति व्यक्ति है जिसे देश की 80% से अधिक आवादी किसी भी हालात मैं नहीं वहन कर सकती | जाएँ तो जाएँ कहाँ |
इन दोनों समस्याओं को आने से पूर्व ही समाधान करने वाली व्यवस्था हमारी रोजगार व् आरोग्य उन्मुखी सभी प्राचीन परम्पराओं व् चिकित्सा पद्धतियों को पिछले 75 वर्षों में बड़े षड्यंत्र के तहत योजना पूर्वक पीछे धकेला है अपितु उनके वारे में जन मानस में भ्रम व् ग्लानी फेलाकर सम्पूर्ण समाप्त करने का कार्य हुआ है| आज ये कार्य पिछड़ चुका है| चाहे इसमें बहुत ताकत है लेकिन आज का जन मानस इसे हेय दृष्टि से ही देखता है अर्थात सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता |
आरोग्य पीठ ने इन प्राचीन पद्धतियों के संरक्षण व् सम्वर्धन का बीड़ा उठाया है | न्यूरोथैरेपी को आदर्श के रूप में आगे रखा है | इस स्वदेशी प्राचीन विज्ञानं को आरोग्य व् आजीविका के लिए आशा की किरण बनाने विश्व के सर्वोच्च शिखर तक ले कर जाना है| ये तभी सम्भव होगा जव हम आरोग्य पीठ के नवरत्न इस कार्य के लिए परम आवश्यक जीवन मूल्यों को जीने के लिए कटिबद्ध होकर आगेआएंगे | लोगों में फिर से विश्वास जगाने व्के उसे जीतने के लिए हमें उच्च मापदन्डों को स्थापित करना होगा | रोगी की संतुष्टि हमारा प्रथम लक्ष्य होगा | एक स्वच्छ व् पवित्र वातावरण में सेवा भावना से विना छुआछूत के बड़ी विनम्रता से उसके मंगल की कामना करते हुए श्रद्धा व् समर्पण से कार्यरत होंगे तो कस्टमर ( रोगी ) संतुष्ट भी होगा व् परिणाम भी मिलेगा| | यह विज्ञानं अपने आप ही समाज में स्थापित होकर आशा की किरण वन जायेगा |
सौभाग्य से हम न्यूरो थैरेपी को भारत सरकार से मान्यता दिला कर एक आदर्श के स्थान पर ले कर आचुके हैं |
अब लोग इसमें उपचार कराने आयेंगे तो युवाओं को रोज्गार हेतु सीखने के लिए अधिक कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्यों की इसमें रोगी को सरल व् सफल उपचार मिलेगा तथा युवा को एक श्रेष्ठ रोजगार जहाँ पैसा के साथ साथ सम्मान व् संतुष्टि तीनों अपने ही स्थान पर एक साथ मिल जाएँगी| देश स्वस्थ, निरोगी व् आत्मनिर्भर बन जायेगा |